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भबिस्यबानी

अब आगे.....

बाबा कि बात सुनके रामलाल बहत हैरान था.... रामलाल बाबा के पैर छुके रोते हुए गिड़गिड़ा के कहा बाबा आप महान हो... आप बिना बोले सब जान लेते हो....

रामलाल :-बाबा आपनें जिस मंदिर का कहा था मे ओर मेरी पत्नी दोनों गये थे उस मंदिर... ओर पूजा भी कि लेकिन हमारी मानोकामना पूरी होनेकी वजाए हमें वहां एक आदमी ने इस बच्ची को दे दिया....

अब बाबा हमें खुद खाने को मुश्किल से मिलता हे दो वक़्त की रोटी मिल जाए यही बहत है....हम इस बच्ची को कैसे ससंभाले आप ही बताई...बाबा ने रामलाल को कहा बच्ची को मेरे पास लाओ...

रामलाल जल्दी से उस पोटली को बाबा को दे देता है... बाबा बहत प्यार से उस पोटली को ले लेते है ओर अपने गोद मे रख कर पोटली को खोलते है...

उस बच्ची को देख कर बाबा बच्ची के सर पर प्यार से हाथ फेर ते है तो बच्ची भी उन्हें देख कर खिलखिला कर हसने लगती है... बाबा प्यार से देखते हुए अपने दिल मे कहते है..मे यहाँ हमेसा रहूँगा आपकी हिफज़त के लिए... मुझे यहाँ महागुरु ने भेजा है... आपकी सुरक्षा मेरी जिम्मेदारी है...

बच्ची भी बाबा को देख कर ऐसे मुस्कुराई जैसे उसे सब समझ आगया हो.... फिर बाबा रामलाल कि तरफ देख कर कहते है... रामलाल तुम्हारी हर मनोकामना ये बच्ची ही पूरा करेंगी... इसके लिए तुम्हे इसे बच्ची का लालन पालन करना होगा...

ओर हा तुम्हे याद है ना मंदिर वाले आदमी ने कया कहा था इस बारे मे किसीको पता चलना नहीं चाहिए...अगर ऐसा हुआ तो तुम्हारे परिवार मे कोई नहीं बचेगा... रामलाल जल्दी से कहा हा बाबा मे किसी को कुछ नहीं बताऊंगा

बाबा ने फिर कहा इसलिए तुम्हे इस बच्ची को दुनिया के सामने आपनें खुद कि बच्ची बताना पड़ेगा..रामलाल तो लालच मे था.. इसलिए उसने तुरंत अपना सर हिल्ला के कहा.. हा.. बाबा.. मे जरूर ऐसा ही करूँगा...बाबा ने कहा.. ठिक है अब तुम जाओ... ओर इस बच्ची का अच्छे से लालन पालन करो... रामलाल जल्दी से ख़ुश होते हुए कहा हा बाबा आपने जैसा कहा है मे बिलकुल वैसा ही करूँगा... बोलके बच्चे को उसी पोटली मे लेके खुशी खुशी आपनें घर चला गया....

 दूसरी तरफ....

 पृथ्वी से दूर किसी ओर प्लेनेट मे जिसका नाम Vegas star प्लेनेट था....

वहां एक पहाड़ी पर एक साधारण सा दिखने वाला घर था जो मिटी का बना हुआ था.. जिसके चारो तरफ हरियाली ही हरियाली थी... पक्षियों के चेह चाह ने कि आवाज ओर वहां बहते झरनों कि आवाज चारो तरफ गूंज रही थी...उस जगह पर आत्म शांति मिल रही थी...

घरके अन्दर कुछ नहीं था..ओ घर साधारण सी थी... वहां एक महापुरुष ध्यान मे थे.. उनके आगे दो इंसान कब से महापुरुष के आँख खोलने की इंतजार कर रहे थे... जैसे ही महापुरुष ने आँखे खोली.. उनके सामने वेगस प्लेनेट के राजा और रानी घुटनो के बल बैठे हुए थे... महापुरुष के आँख खोल ने से वेगस के राजा और रानी हाथ जोड़ते हुए उनकी आगेझुक गये.....

वेगस के राजा ने कहा.. बाबा आपकी बहत बहत कृपा के आपने हामे दर्सन दिए.... महापुरुष उन दोनों को आशीर्वाद दिए...

वेगस की रानी बहत परेशानी से कहने लगी.. बाबा आपके भबिस्यबानी के तहत 1000 साल पहले हमारी बेटी की जान गयी थी... अब 1000 साल बीत चुके है... अभी कुछ दिन पहले मंदिर मे स्टार स्टोन की पावर लौट आयी है... कया हमारी बेटी भी लौट आएगी...

बाबा ने रानी से कहा बेटी तुम परेशान मत हो.. जो होना होगा ओ हो कर हो रहेगा.... कोई उसे नहीं रोक सकता... इसलिए तुम फ़िक्र छोड़ दो उसकी.. ओ जब आएगी.. तब यहाँ की हवाएं भी बदल जायेगी... उसकी सुरक्षा... ओ कर राहा है... कदम कदम पर... तुम धैर्य रखो.... कुछ देर बात करके राजा और रानी वहां से लौट आये...

उनके निकलते ही... घर के पीछे कब से चुपी हुई दासी उनकी बाते सुन रही थी... ओ चुपके से वहां से निकल के चलीगयी... उसे लगा.. उसे किसी ने नहीं देखा है.. लेकिन उसके जाते ही.. महापुरुष के होठों पर एक हलस्की मुस्कान आगयी...

उन सबके जाते ही महापुरुष ध्यान लगाने लगे.. ओर आपनें ध्यान से ही पृथ्वी पर उनके भेजे हुए दूत से कहने लगे... राजकुमारी के सुगंध कि हर निसान मिटा दो... ओर उनके पति को आगाह भी कर देना साबधान रहे..

उस वक़्त पृथ्वी पर शिव मंदिर के अन्दर ओ बाबा ध्यान मे थे...जैसे ही उन्हें राजगुरु का सन्देश मिलता है .. ओ आपनें उस जगह से खड़े हो जाते है.. ओर हवा मे गायब हो जाते है ओर मोहन के घर के बाहर पहँच जाते है.. पहले ओ घर के चारो तरफ अच्छे से देखते है... फिर अपनी सक्तियों से मोहन के घरके चारो तरफ एक कवच बना देते है.. जिसे कि राजकुमारी का पता कोई ना लगा सके...