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अभिनाश लंदन चला गया...

अब आगे....

उस आदमी के गायब होते ही ये दोनों पति पत्नी आपनें उस मखमली लाल कपडे के पोटली को पकड़ कर वहां से ऐसे भागे जैसे उनके पीछे भुत पड़ा हो...

दूसरी तरफ....

अभी शुभ के 5 हो चुके थे...

 अभिनाश रेडी हो चुका था... ओर आपनें रूम मे सोफे पर बैठ के आपनें कुछ जरूरी पेपर्स चेक कर राहा था... तभी रूम के डोर पर नॉक होता है... अभिनाश अपनी भारी आवाज मे केहता है Come in...

Aman अन्दर आके अभिनाश से केहता है... सर् सब रेडी है... हम अब चलने के लिए तैयार है.... अभिनाश उसके तरफ बिना देखे ही कहा ok ठिक है चलो बोलके रूम से बाहर चला जाता है...

Aman वहां पर रखे सारे पेपर को समेट कर एक ब्लैक कलर के लेदर बैग मे डाल कर ओ भी अभिनाश के पीछे रूम से बाहर निकल जाता है...

अभिनाश नीचे पहँच ता है.. तो वहां कोई नहीं था सिवाए उस बटलर के...इतनी बड़ी मेंशन मे सिर्फ रामु बटलर के अलवा ओर कोई नहीं था वहां...क्युकी Daksh को उसके आस पास ज्यादा लोंग पसंद नहीं थे...

अभिनाश रामु को देखते हुए कहा... रामु.... तुम्हारी बहु प्रेग्नेंट है ना??? रामु जल्दी से कहा हा साहब...अभिनाश Aman को इसरा करता है.. तो Aman एक ब्रिफ केस रामु को लाके पकड़ा देता है... अभिनाश केहता है... रामु इसमें कुछ पैसे है... तुम्हारे परिवार के लिए... मुझे यहाँ लौटने मे सायद बहत साल लग जाए... इसलिए तुम इसे रखलो... ओर हर महीने तुम्हारे अकाउंट मे पैसे डाल दूंगा...

अभिनाश कि बात काट ने कि हिम्मत रामु मे नहीं था... इसलिए रामु ने उस पैसे के बैग को लेलिया... ओर कहा.. साहब आप बहत दयालु है... आपने हमारी पांच पीढ़ियों के लिए बहत कुछ किया है.. हम इसका एहसान चूका नहीं सकते...अभिनाश ने भारी आवाज मे कहा अगर मेने आपकी मदद कि है.. तो आपकि पांच पीढ़ियों ने भी मेरी बहत मदद किया है... इसलिए हाम बारा बर है...आप पर मेने कोई एहसान नहीं किया है... इसलिए आप बेफिक्र रहे...

रामु फिर धीरे से कहा...साहब मे छोटा आदमी आपसे कुछ कहना चाहता हूं... अभिनाश ने कहा हा बोलिये...रामु केहता है... साहब अभी दो दिन पहले ही आप इंडिया आए है आप यहाँ बहत कम आते है .. ओर ये सब प्रॉपर्टी आपका होने के बौजूद भी आप यहाँ कभी कवार आते है आप कुछ दिन यहाँ ओर रुक जाते...

अभिनाश ने उसी तरह भारी आवाज मे बिना किसी भाब के कहा... मे आऊंगा..लेकिन अभी ओ वक़्त नहीं आया है...ठीक है... अब मुझे चलना चाहिए... आप अपना खयाल रखियेगा ..फिर ओ घरसे बाहर निकल जाता है... ओर उसके पीछे Aman भी निकल जा ता है...

बटलर रामु वहां वैसे ही खडा था.... उसे अभिनाश के लिए बहत बुरा लग राहा था... नजाने कितने सदियों से ओ इसी तरह अकेला था...

सायद इसके पीछे कि वजह  रामु भी अच्छे से नहीं जानता था... क्यकि रामु से पहले रामु के दादा जी भी अभिनाश के लिए काम करते थे..

अभिनाश और अमन दोनों आपनें प्राइवेट प्लेन मे बैठ गये..लेकिन अभिनाश को कुछ अजीब फील हो राहा था... फिर भी अभिनाश इस एहसास को अपना बहम समझ के.. सर झटका दिया... और ओ लोंग लंदन के लिए निकल गये..

दूसरी तरफ....

ये दोनों पति पत्नी जैसे घर पहचे.... जो कि एक झोपडी जैसी थी... दोनों अन्दर आकर दरवाजा बंद कर देते है .. उन्हें बहत खुशी हो रही थी कि सायद उस आदमी ने उन्हें या तो ढेर सारे सोना दिया होगा या फिर कोई जादू कि छड़ी जिसे घुमा कर ओ अमीर बन जाए...

ओ दोनों उस मखमली लाल पोटली को बेसब्री से खोलने लगे... उनके पीछे उनकी पांच साल कि बेटी भी खड़ी हो कर ये सब देख रही थी.. उसे लगता है कि सायद उसके माँ बाप ने कुछ खाने के लिए लाये है...

लेकिन जैसे ही ओ पोटली खुलती है... तो उसमे से एक बच्ची के रोने कि आवाज अति है... जिसवजह से ओ तीनो हके बके होकर एक दूसरे को देखे जा रहे थे...

उस औरत ने जिसका नाम कामिनी था एक दम से आपनें सर पर हाथ रख कर आपनें पति से बोलती ये कया होगया... उस आदमी ने हमें झूठ बोलके हमारे गले एक मुसीबत को डाल दिया... अब हम कया करेंंगे... ओर जोर जोर से रोने लगी...

तभी उसका पति जिसका नाम रामलाल था उसने कहा भाग्य बान रुको थोड़ा तुम रो क्यूँ रही हो सायद यही बच्ची ही हमारी भाग्य खोलेगी.... मंदिर वाले आदमी ने भी तो यही कहा था...आपनें पति की बात सुनके कामिनी थोड़ा चुप हुई... कहा अच्छा अब बताइये कया करना है..रामलाल ने कहा.. मे अभी उस बाबा के पास जाऊंगा जिसने मुझे ये सब करने कि सलाह दिया था अगर उसने कुछ नहीं किया तो मे इस बच्ची को उसे ही दे दूंगा...

कामिनी बोली हा ये ठीक है.. दूसरी तरफ उनकी पांच साल कि बेटी जिसका नाम अम्बिका था ओ उस बच्ची को देख कर गुसे से जल् रही थी.. क्युकी ओ बच्ची बहत खूबसूरत थी... किसी छोटी सी प्यारी सी चीनी मिट्टी गुड़िया कि तरह दिख रही थी... दूध जैसी सफ़ेद थी...अम्बिका खुद इतनी सुन्दर नहीं थी इसलिए ओ उस बच्चे से जल् रही थी...

उसने रोते हुए आपनें मम्मी से कहा माँ इस बच्चे को हमारे घरसे निकाल दो मुझे ये पसंद नहीं है... कामिनी आपनें बेटी को लेके दूर चली जाती है ओर उसे समझने लगती है...रामलाल उस बच्ची को उसी कपडे मे ही लेके उस बाबा के पास जल्दी से निकल जाता है..

बाबा के पास पहँच कर रामलाल बावा को प्रणाम करता है... तो ओ बाबा मुस्कुरा देते है... रामलाल कुछ बोले उससे पहले ही बाबा कहते है... कया तुम आपनें साथ उस बच्ची को लाये हो... बाबा कि बात सुनके रामलाल पूरी तरह हैरान था क्युकी उसने तो बाबा को इस बारे मे कुछ नहीं कहा था... तो बाबा को कैसे पता चला...????.