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The Razmahal

VaniyaJahan1414 · Fantasy
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तुम यहां से नहीं भाग सकते

दादा जी दहशत से विराज के अगल बगल देखने लगते है, और विराज से कहते है,"तुम यहां अकेले नहीं आए हो विराज"। ये सुनकर विराज के हाथ पांव कपने लगते है, और वो कप्ती हुई आवाज़ में पूछता है " अकेले नहीं आए हो से आपका क्या मतलब है ,?"। दादा जी विराज के करीब जाकर , धीमी आवाज में कहते है, " तुम्हारे साथ 2 लोग और आए है" । विराज डरते डरते कहता है " का.. का.. कहा है वो लोग?"। दादा जी विराज की आंखों में देखकर कहते है " तुम्हारे अगल बगल है, विराज"।

विराज को तभी दो लोगो के हसने कि डरावनी आवाज़ सुनाई देती है। और वो अपने दोनो कानों पर हाथ रखकर तेज़ आवाज़ में चिल्लाता है " कौन है? कौन है यहां?"तभी दादा जी एक बड़ा शीशा लेकर आते है, और विराज को दिखाते है। विराज शीशा देखकर ही संन रह जाता है ।उस शीशे में उसे , अपने अगल बगल 2 लंबे, चौड़े, हट्टे कट्टे आदमी नज़र आ रहे है , जिनकी खून से सनी लाल आंखें है , ध्यान से देखने पर उन आंखों में विराज का अक्ष नज़र आ रहा है। उन डरावने लोगो का चेहरा बुरी तरह से जला हुआ है, और उनके चेहरे से मांस के टुकड़े लटक रहे है। उन्होंने सफेद रंग के कपड़े पहने हुए है, जिनपर जले होने के निशान साफ नज़र आ रहे है। उनके कपड़ों पर लाल रंग का बैच लगा है, जिनपर लिखा हुआ है " होटल राज़ महल"।

ये देखकर विराज बहुत घबरा जाता है, वो कभी शीशे में देखता है तो कभी अपने इर्द गिर्द। जब वो शीशे में देखता है तो उसे आदमी नज़र आते है। लेकिन जब बिना शीशे के देखता है, तो उसे कोई नज़र नहीं आता। सिर्फ हलकी हल्की सांस लेने की आवाज़ सुनाई देती है, अपने घुटनों पर गिरकर विराज ज़ोर ज़ोर से रोने लगता है। और दादा जी से कहता है " मुझे बचालो दादा जी, मुझे बचालो"। दादा जी दहशत से विराज कि ओर देखकर कहते है " त.. त ..तुम यहां से चले जाओ, अभी के अभी चले जाओ, जीस आग में तुम सुलग रहे हो , उस आग में मै अपने बेटे , बहू और पोते आकाश को नहीं डाल सकता"। दादा जी चिल्लाते हुए एक बार फिर कहते है, तुरंत निकाल जाओ मेरे घर से।" विराज को अपनी आंखो पे याकीन नहीं हो रहा था कि "जिन्हें उसने अपने सगे दादा से बढ़कर मना , उनने ही उसके बुरे वक़्त पर साथ देने से इंकार कर दिया " ।

विराज के आंखो में आंसू थे, लेकिन वो फीर भी खुद पर काबू करके, चुप चाप अपने कमरे में जाकर, सारा समान बांध कर बाहर निकल गया। जब विराज जा रहा था तभी दादा जी ने उससे कहा , " विराज तुमने खुद के पैरो पर कुल्हाड़ी मेरी है, उस होटल में नोकरी लेकर , वो वक़्त दूर नहीं है जब तुम्हे ,तुम्हारी मौत खा जाएगी। ये सब सुनके विराज चुप चाप अपने मन में बड़बड़ाते हुए कहता है " मुझे नहीं करनी इस होटल में नोकरी, में चला जाऊंगा अपने घर वापस। " तभी उसके में में सवाल आया कि आखिर उसे मोहन और उसके दादा जी घर कैसे लेके आए।

वो फौरन पीछे मुड़ा और दादा जी से सवाल पूछा " दादा जी एक आखरी सवाल, आपको में कैसे मिला?" दादा जी ने कहा, तुम कब्रिस्तान के बाहर बेहोश पड़े हुए थे विराज, मोहन जब सुबह 5 बजे अपने ऑफिस कि जराहा था , तभी उसकी नजर तुम पर पड़ी,"

विराज दादा जी की बात सुनकर हैरान था , क्युकी वो तो "होटल के अंदर बेहोश था, बाहर कैसे आया ?" ये सारी बातें सोचते सोचते विराज मोहन के घर से बाहर निकाल गया । विराज बस स्टैंड की तरफ मुड़ गया, जैसे ही विराज चल रहा होता है ,उसे अपने साथ 2 लोगो के चलने की आवाज भी सुनाई देती है। लेकिन वहां उसके सिवा कोई भी नहीं होता है। तभी विराज को कुछ याद आता है, तो वो अपने मोबाइल से फोन लगाता है, और कहता है " मै जा रहा हूं यहां से " ।

थोड़ी देर बाद विराज एक ओपन कैफे मैं बैठा होता है। तभी एक लड़की स्कूटी से उतरती है, और विराज के नज़दीक आकर खड़ी हो जाती है । विराज अभी भी दहशत में है , लेकिन उसे अपने गर्लफ्रेंड "रिया" को देखकर थोड़ी तसल्ली मिलती है।

विराज रिया से कहता है " दूर रहो मुझसे , मै अकेला नहीं हूं"। रिया विराज की ये बातें समझ नहीं पाती। सामने ही रखी कुर्सी पर बैठकर रिया अपना हाथ विराज के हाथो पर रखकर पूछती है " क्या हुआ विराज , ये तुम किस तरह की बातें कर रहे हो, कौन है तुम्हारे साथ?" विराज दहशत भारी आवाज़ में बोलता है " में तुम्हे नहीं बता सकता "

रिया ,विराज की ऐसी हालत देखकर परेशान तो बहुत होती है , लेकिन वो बात बदलते हुए विराज से पूछती है " तुम अपनी नई नौकरी छोड़कर, अपने गाओ राज्वार क्यू जारहे हो"? विराज अपने आंसू छुपाते हुए नीचे देखते हुए कहता है " में बहुत बुरा फस गया हूं रिया , मुझे अब यह नहीं रहना है"।

जैसे ही विराज अपनी आंखें वापस ऊपर करता है तो उसे , प्रिया की जगह होटल कि मालकिन " युसुफा फर्डेंडी स" दिखाई देती है। उसे देखकर विराज कि आंखो में दहशत नजर आने लगती है, और वो अपना हाथ पीछे खीच लेता है। वहीं युसुफा हस्ते हुए कहती है " जितने लोगों को तुम ये बातें बताते जाओगे, उतने ही लोग इस राज़ म फसते जाएंगे" ये सुनकर विराज के शरीर में कप कपी छूट जाती है।

वो डरों के कारण अपनी सीट से भी खड़ा हो जाता है। तभी रिया बोलती है "विराज तुम इतना अजीब क्यों बिहेव कर रहे हो"?विराज सिर्फ एक बार रिया की आंखों में देख कर बोलता है "रिया प्लीज तुम इन सब चीजों से दूर रहो "। बस इतना ही बोलते, विराज अपना बैग उठाकर वहां से निकल जाता है। रिया हक्का-बक्का रह जाती है ,और विराज को बहुत रोकने की कोशिश करती है, लेकिन विराज उसकी कोई बात नहीं मानता। धीरे-धीरे शाम होने लगती है, विराज बस स्टैंड के पास एक बड़े से पेड़ के नीचे बैठकर अपने गांव, रजवाड़ा जाने की बस का इंतजार करता है। बार-बार उसके फोन पर रिया का फोन आ रहा होता है, लेकिन विराज अपने सुध बुध में था ही कहा कि वह किसी का फोन उठा पाता।

अभी रात के 9:30 बज रहे होते है, कि तभी रजवाड़ा जाने वाली बस , बस स्टैंड पर आकर रूकती है और कंडक्टर जोर से चिल्लाता है "रजवाड़ा ,दौसा, जयपुर ,अमली ,जाने वाले यात्री कृपया बस में चढ़ जाए ,चड़ जाओ जल्दी।"विराज रजवाड़ा का नाम सुनते ही झट से बस में चढ़ जाता है। बस आगे चलने लगती है , कुछ देर बाद कंडक्टर विराज के पास आकर रहस्य मय मुस्कुराहट के साथ विराज से पूछता है "कहां भाग कर जा रहे हो विराज?"

तभी विराज हक लाते हुए कहता है "मैं.. मै.. कहां भाग रहा हूं मैं ..मै..तो अपने घर जा रहा हूं। तभी कंडक्टर हैरान होते हुए कहता है "अरे ओ भैया मैं यह पूछ रहा हूं ,कहां जाना है आपको?" तभी विराज धीमी आवाज में कहता है "रजवाड़ा जाना है ,रजवाड़ा एक टिकट दे दीजिए।"

कंडक्टर ने फिर मुस्कुराते हुए कहा "एक टिकट पर तीन लोग जाओगे?" विराज की आंखों में दहशत नजर आने लगी,उसने अपने अगल-बगल देखते हुए कंडक्टर से पूछा" क्या आपको मेरे अगल-बगल दो लोग और नजर आ रहे हैं"? कंडक्टर परेशान होते हुए बोला "क्या भैया पीकर चढ़े हो क्या बस में? सीधे-सीधे बताओ ना कितने टिकट काटने हैं, एक या तीन?" विराज को कुछ समझ नहीं आता कि उसके साथ ये सब क्या हो रहा है । विराज घबराई हुई आवाज़ में कहता है " एक टिकट देदो" । कंडक्टर एक टिकट देकर आगे बढ़ जाता है। कभी विराज का सर जोर-जोर से चकराने लगता है। अपना सर पकड़ते हुए धीमी आवाज में कहता है," यह सब क्या हो रहा है मेरे साथ ,ऐसा ना हो कि मैं पागल हो जाऊं"।

ज़ोर - ज़ोर से सर दुखने की वजह से विराज की आंख लग जाती है। विराज को एक अजीब सी बदबू महसूस होती है, ऐसी बदबू अक्सर किसी सड़ती हुई लाश से आती है। इस बदबू कि वजह से , ना चाहते हुए भी विराज की आंखें खुल जाती है। वो अपने सामने का नज़रा देखकर दंग रह जाता है। क्युकी वो खुदको अपने गांव जा रही बस में नहीं, बल्कि होटल राजमहल के रिसेप्शन पाता है। वहां पर लगी बड़ी सी घड़ी के काटे 11:00 बजा रहे होते हैं। ये नजारा देखकर विराज की कप कपि छूट जाती है।" मैं तो बस में था यहां कैसे आ गया?" होटल का दरवाजा खुला हुआ देखकर विराज बाहर निकलने के लिए दौड़ता है, लेकिन जैसे ही वह बाहर निकलने वाला होता है कि" धड़ाम "की आवाज से दरवाजा उसके चेहरे पर ही बंद हो जाता है।

बंद दरवाजा देखकर ,विराज ज़ोर ज़ोर से दरवाजा पीटने लगता है और कहता है" जाने दो मुझे यहां से, जाने दो ,मुझे यहां क्यों बंद करके रखा है? मुझे जाने दो मुझे जाना है अपने गांव!"

तभी पीछे से ज़ोर कि आवाज़ आती है, "shhhhhh" ये सुनकर विराज जैसे ही पीछे मुड़कर देखता है तो उसे अपने सामने , 130 जले हुए लोग दिखाई देते है। उनके चेहरों पे अजीब से बेचैनी नज़र आती है, और वो लोग विराज को ही देख रहे है। तभी वो सब लोग एक साथ बोलते है " तुम यहां से नहीं भाग सकते" । इस आवाज़ से पूरा होटल गूंज उठता है। ये सुनकर विराज दरवाज़े के पास ही बेहोश हो जाता है। थोड़ी देर बाद जब विराज को होश आता है। तब उसके सामने कोई भी नहीं होता । विराज दरवाज़े के सहारे ,वहीं बैठकर रोने लगता है। कि तभी उसे होटल राज महल की मालकिन मिस युसुफा के हंसने की आवाज सुनाई देती है। विराज उठकर इधर उधर देखने लगता है, लेकिन उसके मालकिन कहीं दिखाई नहीं देती। विराज रिसेप्शन कि तरफ बढ़ता हुआ ज़ोर ज़ोर से रोने लगता है और कहता है " ये क्या हो रहा है मेरे साथ? , मेंने किसी का क्या बिगाड़ा है? "

तभी उसे अपने पीछे क़दमों कि आवाज़ सुनाई देती है , विराज डरते डरते जैसे ही पीछे मुड़ता है ,तो उसे दिखता है कि होटल कि मालकिन मिस यूसुफा खड़ी है। युसूफा ने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी, जिससे वह बेहद ही खूबसूरत लग रही थी, उसके गाल पर प्यारा सा तील और उसके होठों पर गुलाबी लिपस्टिक इतनी खूबसूरत लग रही थी कि ,विराज यह सोचने लगता है कि" कल रात को उसके सामने जो युसूफा का भयानक चेहरा सामने था, वह आज इतना खूबसूरत चेहरा कैसे बन गया"?

युसुफा इतनी खूबसूरत लग रही थी कि, विराज के साथ क्या हो रहा है विराज पल भर के लिए भूल गया। वहां बहुत सन्नाटा था , तभी उस सन्नाटे तो तोड़ते हुए यूसूफा कहती है, " विराज क्या हुआ तुमको?" विराज इससे पहले कि कुछ केह पता , युसुफा ज़ोर ज़ोर से हसने लगती है, उसकी हसी कि गूंज इतनी तेज़ थी कि पूरे राज़ महल की खामोशी को खतम करदिया । तभी यूसुफा विराज के करीब अजती है, ओर उसके कानों में कहती है , " भागने की कोशिश कर रहे थे? इतना याद रखना ,दुनिया के किसी भी कोने में जाओ , लौटकर यही आओ गे *होटल राज़ महल * में ।" विराज जैसे ही युसुफा की तरफ देखता है, उसके सामने कोई भी नहीं होता। तभी एक जवान ,सुंदर ,आदमी अपने हाथों में गन लेकर आता है। विराज उस आदमी से पूछता है "आप कौन हैं", लेकिन वह आदमी उसकी बात को अनसुना कर के सीढ़ियों से ऊपर चढ़ने लगता है। विराज यह सब दृश्य देखकर थोड़ा घबरा जाता है, और उस आदमी के पीछे पीछे जाने लगता है। आदमी ऊपर चढ़ने के बाद होटल की मालकिन मिस फर्डेंडइस के कमरे के सामने जाकर दरवाजे को लात मारकर खोलता है। दरवाजा खुला होने की वजह से विराज को अंदर का दृश्य साफ नजर आ रहा होता है। "मैंने तुम्हें दिल से चाहा और तुमने मुझे बर्बाद कर दिया, मुझे मिट्टी में मिला दिया " । मिस फर्डेंड्स घबराते हुए रणवीर से कहते हैं "मैंने कुछ भी नहीं करा रणवीर"। "रणवीर" उसी आदमी का नाम था जो यूसुफा के कमरे में मौजूद था। रणवीर गुस्से से गन को यूसुफा के माथे पर लगाते हुए कहता है "जीते जी मार दिया तुमने मुझको ,मैंने तुम्हारे लिए अपने मां-बाप को छोड़ दिया, और तुमने ,तुमने मुझे धोखा दे दिया"। यूसुफा ने रोते हुए जवाब दिया" इन सब में मेरी कोई गलती नहीं है ,मैं जानती हूं तुम किस दर्द से गुजर रहे हो, मैं खुद टूट गई हूं रणवीर ,मुझ पर इल्जाम लगा है तुम मुझे मार दो ,मैं यह इल्जाम लेकर इस दुनिया में नहीं जी सकती"। यूसुफा अपने घुटनों पर बैठ जाती है ,और बंदूक की नाल अपने सर पर लगाते हुए रणवीर से बोलती है "मुझे मार दो रणवीर ,मेरी यही सजा है ,मुझे इस दुनिया में जीने का हक नहीं है"। यूसुफ़ अपनी आंखें बंद कर लेती है, आंसू उसके आंखों से गिर रहे होते हैं। तभी रणबीर अपने हाथ को पीछे खींच लेता है ,और उससे कहता है "तुम्हें सजा मिलेगी "यह सुनते ही युसूफा अपनी आंखें खोल लेती है ,और रणबीर को देखने लगती है।

रणवीर आगे बोलता है ,"लेकिन मौत मेरी होगी " इससे पहले कि यूसुफा कुछ बोल पाते, रणवीर ने अपनी कनपटी पर बंदूक रखी और चला ली। रणवीर कि खून के छींटे युसूफा के चेहरे को लाल रंग से ढक देते हैं। और "धपक" की आवाज़ से रणवीर का बदन जमीन पर गिर जाता है। युसूफा को यकीन नहीं होता कि यह क्या हो गया? वो रणवीर को पकड़कर चिल्ला चिल्ला कर रोती है। यह देखकर विराज से रहा नहीं जाता है ,अपने आप पर काबू नहीं कर पाता है, वो दौड़ कर उस आदमी के पास जाता है, और उसे उठाने की कोशिश करता है। तभी अचानक रणवीर की बंद आंखें खुल जाती है।

विराज ये देखकर , डर की वजह से पीछे होजता है। देखते ही देखते रणवीर के हाथों की बंदूक का मुंह ,विराज की ओर घूम जाता है। विराज तेजी से पीछे की ओर रेंगता हुआ जाता है ,और दीवाल से चिपक कर बैठ जाता है। डर के मारे विराज ,हाथों से ,अपनी आंखों के ऊपर लगाते हुए अपनी आंखें बंद कर लेता है, जैसे यह उसकी जिंदगी का बस आखरी लम्हा है। कुछ देर, कुछ ना होते हुए देखकर विराज जैसे अपनी आंखें खोलता है, तो उसके सामने कुछ भी नहीं होता। इतनी ही देर में होटल राज़ महल की लाइटे जलने बुझने लगती हैं। और उसे महसूस होता है ,जैसे बहुत सारे लोग उसे आस पास घेरा बनाए हुए खड़े है। दहशत के मारे विराज कि ज़ुबान बंद होजाती है, और वो चाह कर भी कुछ बोल नहीं पाता। इतने ही देर में ,होटल की लाइटे वापस आ जाती है। और उसके सामने उसकी मालकिन खड़ी होती है। जिसके बदन पर खून के धब्बे साफ नज़र आ रहे होते है। यूसुफ़ घूर घूर के विराज कि तरफ देख रही होती है, उसकी आंखों में गुस्से और दर्द के साथ-साथ नफरत साफ नजर आ रही होती है। विराज की आंखों में गुस्से से देखते हुए वह बोलती है "यह सब तुम लोगों की वजह से हुआ है, तुम लोगों के कारण मेरा घर बसने से पहले ही तबाह होगया"। " मै तुम्हे नहीं छोडूंगी विराज " । विराज अपनी जान बचाने के लिए जल्दी से सीढ़ियों से नीचे उतरकर अता है। वो भागते हुए होटल राज़ महल के दरवाजे की तरफ जाता है और भागकर उस दरवाजे को खोलने की कोशिश करता है। दरवाज़ा पीटते पीटते बोलता है "कोई मुझे यहां से बाहर निकालो, प्लीज ,मुझे यहां से बाहर निकालो"।

उसी वक्त विराज के कानों में मालकिन की आवाज़ आती है।" "तुम अब यहां से नहीं भाग सकते विराज ,तुम अब होटल राज़ महल के गुलाम हो,तुम चाहे कहीं भी रहो, रात के 11 बजने पर , खुद बा खुद तुम होटल पहुंच ही जाओगे, ये तो अभी बस शुरू आत है, आगे आगे देखते जाओ, यहां अभी इतने राज़ खुलने वाले है जिनका तुम हिसाब भी नहीं लगा सकते, होटल राज़ महल ही अब तुम्हारी तकदीर में लिख गई है" ।

तो क्या होगा आगे? आखिर क्या रिश्ता है विराज का मालकिन के साथ? क्या विराज कभी खुदको इन सब से बचा पाएगा? या फिर हमेशा के लिए होटल राज़ महल का राज़ , राज़ ही रेहजयगे? 😈