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Takai

Author: Dor_ora
Fantasy Romance
Ongoing · 2.9K Views
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What is Takai

Read Takai novel written by the author Dor_ora on WebNovel, This serial novel genre is Fantasy Romance stories, covering action, romance, adventure, comedy. ✓ Newest updated ✓ All rights reserved

Synopsis

when Aria was leaving , Noah grabs her jacket , she turned to him looking confused, " I'm.. I'm sorry.. I have no idea why I did that.." He said. That was the first time Aria and Noah ever meet . Aria went on her way with the elder John . " you two didn't seem to get along with each other before, I wonder how the hell did you two got married !! " John asked Aria with a serious look on his face, " mind your own business" she answered....

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पितृ पक्ष

पितृ पक्ष.... पितृ पक्ष हिन्दु धर्म का एक बहुत ही विशेष त्योहार है जिसमें हर व्यक्ति अपने पूर्वजों को याद वा उनकी आत्मा की शांति हेतु एक विशेष अनुष्ठान करता है जो एक कर्तव्य भी है। जो अपने माता पिता से जीवित रहने के उपरांत अथवा मरणोपरान्त भी उनसे जुड़ा होता है वा उनकी दी हुई शिक्षा वा उनके साथ बिताये पलों को याद करता है। यह प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है जिसमे पितृ पक्ष के दौरान तक वह उन्हें पुष्प अर्पित करता है जो घर का एक विशेष स्थान होता है वहाँ पर मुख्य द्वार पर विशेषतः पुष्प अर्पित करने का रिवाज़ है, जो द्वार के दोनो स्थान पर अर्पित करते है जिसमे एक स्थान माता वा दूसरा स्थान पिता के लिए होता है। पितृ पक्ष के लिए कुछ कायदे व नियम भी बनाये गये हैं जो इसमे करना होता है जो निम्न है___ १.)हर दिन अपने पित्रों को स्नान के पश्चात जल व पुष्प अर्पित करना। २.)उनके खाने के लिए जैसे जीवित रहने के समय सेवा पान किया करते थे उनके लिए अलग भोजन तैयार करना वा निकलना व उसके बाद ही भोजन करना। ३.) उसके बाद उसी भोजन को पशु-पक्षी को अर्पित करना जिससे पता चलता है की उनके भोजन खाते ही वह भोजन उनके पितरों तक पहुंच जाता है। ४.)पितृ पक्ष के दौरान शुद्ध पानी से नहाना वा साबुन-शैम्पू का प्रयोग ना करना। ५.)पितृ पक्ष के दौरान दाढ़ी और सिर के बाल को ना कटवाना। ६.)इस दौरान कोई भी शुभ काम (जैसे शादी व्याह को वर्जित माना जाता है) को ना करना । ७.) जैसे नियमों का पालन करके पहले के एक सप्ताह मे माता को वा उसके अगले सप्ताह मे पिता को पुरी रीति रिवाज़ के साथ विशेष पूजा पाठ वा विशेष भोज्य (जो जो उनके प्रिय व्यंजन हो उनको बनाकर और खिलाने के लिए अर्पित किया जाता है) के साथ विदा किया जाता है। ८.)ठीक वैसे जैसे गणेश और दुर्गा पूजा के बाद उनको विसर्जित किया जाता है उसी तरह से अपने पितरों को भी विदा किया जाता है। इसे मानने का एक विशेष कारण वा अच्छी बात ये है की हम अपने पूर्वजों से हमेशा से जुड़े रहें।कल हम भी नहीं होंगे तो यही श्राद्ध हमारे बच्चे भी हमारे लिए करेंगे। हमारे धर्म की यही तो विशेषता है की वो अपने कर्मों के माध्यम से युगों युगों से हमारे पूर्वजों को पहले और बाद एक विशेष क्रमबद्ध तरीके से हमारे देश और दुनिया मे अपनी संस्कृति को निस्तरित करता आ रहा है। हमारे देश की संस्कृति और भगवान के लिए पूर्ण श्रद्धा ही हमारे देश को महान बनाती है। *त्रिभुवन गौतम S/O शिव लाल* *शेखपुर रसूलपुर चायल कौशाम्बी उत्तर प्रदेश भारत।*

POET_TRIBHUVAN · Book&Literature
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