1 परिंदे कुछ बोल रहे ह ..

आज मैंने इन परिंदों से पूछा .. चारो तरफ फैली ये खामोशी आखिर राज क्या है..?

परिंदों ने हँसकर कह दिया ....

कि सुक्रगुज़ार हु मैं उस पतझड़ का भी , मैं तिनके कहा से लाता अगर सदाबहार होती ...

आदित्य :

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