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नारी जीवन

आज पूँछती हु सबसे, क्यों मुझे बोझ कहाँ जाता है,

क्यों मार दिया जाता है मुझको गर्भ में ही,

क्यों पराया समझा जाता है,

मिट्टी का कोई पुतला नहीं,

रोना मुझे भी आता है, हँसने का दिल मेरा भी चाहता है,

आज पूँछती हु सबसे, क्यों मुझे कमजोर कहा जाता है,

क्यों घर- परिवार से ही मुझे बेटे से कम माना जाता है,

क्यों समाज की बेड़ियों में मुझे ही हर बार बाँधा जाता है,

गलत न होने पर भी इल्ज़ाम मुझ ही पर आता है,

आजादी से एक अलग पहचान बनाकर जिंदगी से मिलना चाहता हूं मैं भी।

आज पूँछती हु सबसे, क्यों मुझे कोसा जाता है,

क्यों हर बार मुझे ही अपने मन की करने से रोका जाता है,

आखिर बताओ मुझे भी;

ऐसा क्या है तुम बेटों में जो मुझे ही हर बार दबाया जाता है,

बचपन से ही मुझे हर संजोते में डाला जाता है।

आज पूँछती हु सबसे, क्यों अत्याचार मुझ ही पर आता है,

क्यों हर बार मुझे ही देना होता है बलिदान,

मुझे समझाओ आखिर ये भेदभाव क्यों,

अब नहीं जी सकती ऐसे घुट- घुट के यूँ,

खुद से ही करूँगी नारी सहशक्तिकरण की शुरुआत,

नई सोच से करूँगी कुछ अच्छे बदलाव,

नई उमंग से करूँगी नए कल की शुरुआत।।

💫👼

Learning is a chance you could get wherever you go.

Mansi_Garbadacreators' thoughts