मैं निशांत तेवतिया एक आम आदमी आप जैसा ही। मैं जब छोटा था मेरे घर वालो और आस पास के लोगो मे फौजी के बहुत चर्चे थे तो तभी मैने अपने मन मे ठान लिया कि अब तो फौजी ही बनना है और मेरी दुनिया वही से शुरू हुई जैसा जैसे मैं अपना मन पढ़ाई मे लगता उससे ज्यादा ध्यान मेरा फौज की तरफ होने लगा। अब मुझे एक लत सी लग गई मैंने एक दिन अपने एक दोस्त पर फोन देखा तब मुझे नही पता था कि फोन में हम फौज की मूवी देख सकते है। पहली बार मैंने बॉर्डर मूवी देखी। मन मे एक अलग सी उमंग हुई ; उसी दिन मैंने अपने बड़े भाई से बताया कि भाई मुझे फौज मे जाना है बड़ा भाई पहले तो हसा फिर बड़े भाई ने बताया कि छोटे फौज मैं इसे नही जाया जाता मेहनत करनी होती है पर उसके लिए तो अभी मै छोटा था तभी मन मैं प्रण लिया और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देने लगा। जैसे जैसे टाइम बीता गया मै और मेहनत करने लगा