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डा० अबेंडकर महापरिनिर्वाण दिवस

कल कुछ खास हैं

एहसान फरामोंश मतलबी दुनिया कुछ भूल रही हैं...!

कल आधुनिक भारत के शिल्पकार...मानवता के मसीहा डा० भीमराव अंबेडकर का महापरिनिर्वाण दिवस हैं....!

डा० अबेडकर नें सामाजिक कुरितियों का परित्याग करके बुद्ध की शरण ली थी....और लाखों लोगों को असमानता और छुआछूत के चंगुल से आजादी दिलायी थी...!

बाबा साहेब आधुनिक भारत के वो मसीहा थे जो अगर अपना संविधान मानवता को नहीं देते तो आज समाज में मानवता का अंश मात्र भी दिखाई नहीं देता...!

जो हालत अफगानिस्तान की है वही आपके और हमारे देश की होती...!

आज हर कोई अपनी सड़ी हुई खोपड़ी से डा० अंबेडकर और उनके दिये हुये पैगामों में कमी निकाल देता हैं...! सोचने वाली बात हैं जिस संविधान की और जिस महापुरुष की पूरे विश्व में सराहना हो रही हैं उस व्यक्ति और उसकें विधान में राह चलता भी कमी निकाल रहा हैं....! ऐसे लोग महा-मूर्ख होते हैं...!

एक बात उन सब से पूछना चाहता हूँ क्या आप किसी भी स्तर पर डा० अबेंडकर की बराबरी कर सकते हैं.?

बराबरी तो दूर डा० अबेडकर की 2% बुद्धि भी अगर किसी में आ गयी तो गांरटी लेकर कहता हूँ वो जीवन अपना मानवता के लिये ही समर्पित करेगा...!

संविधान का मूल्यांकन अगर कोई करके देखेगा...उसे पता चलेगा की संविधान में कहीं पर भी असमानता भेदभाव नहीं हैं..बस गिरे हुये कुछ लोगोें को मानवता के तहत उठनें का अवसर दिया हैं....!

संविधान डा० अंबेडकर जी के पूरे जीवन के अनुभव और त्याग का परिणाम हैं...! ऐसे महापुरुष केवल जनहित के लिये ही धरती पर आते हैं

जिनका जीवन केवल जनसाधारण के लिये ही समर्पित होता हैं इनका कभी भी व्यक्तिगत जीवन नहीं होता...!

कुछ लोग कहते हैं डा० अबेंडकर नें केवल दलितों के लिये किया...?

तो उन्हे आज जान लेना चाहिये

जिस शिक्षा को पाकर आज वो इंजिनियर, डाक्टर , आई०ए०एस ,और सरकारी कर्मचारी बन रहें हैं अगर पुराने सिस्टम में पढें होते तो क्या कर रहे होते...! खुद ही अवलोकन करें...!

समाज में सभी को शिक्षा का अधिकार , मतदान का अधिकार, महिलाओं को बराबरी का अधिकार, सभी धर्मों को समानता का अधिकार, न्यूनतम मजदूरी का अधिकार, सरकारी सेवाओं में बारह की बजाय आठ घंटें की सेवा ....और क्या चाहिये !

न्याय व्यवस्था , कानून व्यवस्था, अर्थ व्यवस्था (बैंक , शेयर मार्केट आदि ) सब तो देन डा० भीमराव अंबेडकर की हैं तो फिर बचा क्या...?

हाँ पर एक चीज बची..वो संविधान अपना मतलबी लोगों के हाथ में दे गयें....उन्होने अधिकार तो दिये पर लेने वालों में अक्ल नहीं दे पायें...!

दलित समाज की कहानी सिर्फ एक लाईन में बताऊंगा...

" ये अपनें ही भाईयों को आगे बढ़ने से रोकते हैं "

सोचना चाहिये अगर आपके समाज में शिक्षित लोग नहीं होगें तो आपके अधिकार जो मिले हैं आपकों...किसी के पूरे जीवन का परित्याग हैं उनकी हिफ़ाजत कौन करेगा....?

ये संविधान हैं

सभी के लिये हैं

केवल दलितों का ही संविधान न समझें...!

डा० अबेंडकर को दलित या दलितों का ही मसीहा न समझें...!

ऐसे महापुरुष पर कमेंट या कोई फालतू की टिप्पढी़ करके अपनी मूर्खता न दिखायें...!

सोच लें सभी कों डा० अबेंडकर नें भीखमंगा बननें से बचा लिया हैं...!

दलित भाईयों से विशेष अनुरोध अपनें बच्चों को शिक्षित बनायें...समाज में तालमेल बनाकर रहें और अपने ही किसी भाई या बहन की टांग खिचाई न करें ....इसी में भलाई हैं आपकी....!

आप सभी दलितों भाईयों की और से डा० अबेडकर कें महापरिनिर्वाण दिवस पर भावपूर्ण श्रद्धांजलि...🌹🙏