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हॉस्टल लाइफ ?

नमस्कार दोस्तों .....

मैं धर्मेन्द्र मिर्धा , डेगाना ( नागौर,राज. ) का रहने वाला हूं । आज में आप सबके बीच अपनी हॉस्टल लाइफ की कुछ यादें शेयर करना चाहता हूं , कहीं पर भी आपको गलती लगे तो छोटा भाई समझकर माफ कर देना । 🙏

बात 07 जुलाई 2012 की है जब मैने अपने नजदीकी क्षेत्र मेड़ता सिटी में स्थित विद्यालय आदर्श नवोदय के छात्रावास में प्रवेश लिया । एक अजीब सी ख़ुशी और साथ में एक अजीब सा डर भी लग रहा था कि अब मुझे घरवालों से दूर रहना पड़ेगा वो भी खेलने कूदने की उम्र में ...

जब हमारा रजिस्ट्रेशन हो गया तब हमें अपना सामान छात्रावास में रखकर खाना खाने के लिए बुलाया गया । उस दिन रविवार होने के कारण स्पेशल डाइट बनी हुई थी जिसमें राजस्थान का प्रमुख व्यंजन - दाल, बाटी और चूरमा था । खाना खाने के बाद हमे सुला दिया गया और जब वापस शाम को 4:30 बजे उठे तो पता चला कि अब हमारा खेलने का समय ( Game Time ) हो गया है । अब घरवालों की याद आने लगी और खेलने में रती भर भी मन नहीं लगा । जब खेलकूद का समय समाप्त हुआ तो विद्यालय प्रांगण में बनाए हुए स्टेज पर सबको एकत्रित किया गया और संध्याकालीन प्रार्थना की गई । उसके बाद सबको एक दूसरे से परिचित करवाया और खाना खाने के लिए लाइन से मैस में भेज दिया गया । वहां पर देखा कि हमारे साथ वाले जो हमसे सीनियर थे वो हमे खाना खिला रहे थे । खाने का स्वाद मैं अपने शब्दों में बयां नहीं कर सकता । खाना खाने के बाद हमें रूम में पढ़ने के लिए अपने अपने बेड पर बिठा दिया गया और सबसे मजेदार बात यह है कि बेड पर बैठने के बाद मुझे कुछ पता ही नहीं चला कि सुबह के 4 कब बज गए .....

आगे की कहानी कल.... धन्यवाद 🙏

✍️ - Dhiru Mirdha