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आसीमा और जिया की दोस्ती

अब आगे....

आसीमा.. कामिनी के पास चली गयी... कामिनी आसीमा को देखते ही अपना मुँह मोड़ लेती है.. कामिनी दिल मे ही सोच ती है.. ये लड़की.. इस जितना भी परेशान करो जितना भी काम करवाओ... इसे तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता.. उल्टा दिन ब दिन ये तो और भी निखर रही है... इसको अब मेरी बेटी सबक सिखाएगी....

आसीमा अमिनी से पूछती है माँ कोई काम है तो बताई ये.. मे अभी ओ काम कर दूंगी.... कामीनी कहती है.. नहीं कोई काम नहीं है ..तुम बस कल के लिए तैयार रहना

तुम्हे कल अहाना के पास जाना है...

आसीमा परेशान हो गयी.. पूछी माँ.. अहाना दी तो मुंबई मे रहती है...कामीनी ने कहा.. हा तो कया हुआ.. कया तू माना कर रही है.. जाने के लिए...

आसीमा ने जल्दी से कहा.. नहीं माँ.. ऐसी कोई बात नहीं है.. ओ मेने आज से पहले कभी बाहर कदम तक नहीं रखा है.. इसलिए.. बाबा नाराज तो नहीं होंगे ना..

कामिनी कहने लगी.. तुम्हे उनकी फ़िक्र करने की कोई जरुरत नहीं है.. उन से मेने बात करली है... इसलिए तुम तैयार हो जाओ.. वहां पर अहाना को एक अस्सिस्टेंट की जरुरत हो रही है.. इसलिए तुम वहां उसकी असिस्टेंट बन के जाओगी.. किसी को वहां ये बाता नेकी जरुरत नहीं के अहाना और तुम बेहेन हो.. समझ गयी ना...

आसीमा बिचारि.. कामिनी के आर्डर पर कया कहती अगर ओ कुछ भी कहती.. तो कामिनी का जुल्म आसीमा पर टूट ता... आसीमा सर हिला के कहने लगी... जी माँ मे कल तैयार रहूंगी.. कामीनी मुँह मोड़ ते हुए कहती है.. हा अब जाओ किचन मे कुछ काम बाकी पड़ा है ओ करलो.... आसीमा वहां से चली जाती है..

मोहिनी सोफे पर एक महारानी कि तरह बैठी हुई थी ओर वहां पर रखे हुए अंगूर खा रही थी... वही नौकरानी जिसका नाम तुलसी था उसे मोहिनी के पेरो पर बैठ कर उसके पैर दबा ने लगी... फिर उसने चापलूसी करते हुए कहा...

मालकिन आप इतने अमीर है... यहाँ तक के शिमला के सबसे अमीर.. शिमला के सारे अमीर फॅमिली आपके फॅमिली के पेरो के नीचे रहते है...तो आप इस नाजायज को आपनें घर पर क्यूँ रखती है... उसके बहत ही तेबर है... क्युकी मालिक इसे कुछ नहीं बोलते... तुलसी मोहिनी को नव्या के खिलाफ भड़का रही थी.. क्युकी आज सुबह नव्या ने उसके ऊपर पानी गिराया था... हालांकि ओ सिर्फ कुछ पानी के बुँदे ही थे... लेकिन तुलसी भी नव्या के खूबसूरती से जलती थी.. इसलिए ओ छोटे से छोटा बहाना ढूंढ ती थी नव्या को पनिशमेंट देने के लिए... मोहिनी तुलसी के चापलूसी भरी बाते सुकने ख़ुश हो गयी फिर मुँह को अजीब करते हुए कहा ...हम्म्म केह तो ठीक रही हो तुम पर मज़बूरी मे रखा हुआ है इसे मेने यहाँ...वरना मे इसे आपनें घर कि देहलीज ना छूने दूँ...

ये सुनते ही तुलसी का मुँह बन गया... फिर उसने मोहिनी को कहा मालकिन आप इससे क्यूँ मुंबई भेज रही हो... ये कया करेंगी वहां जा कर... ये बात तुलसी इसलिए बोल रही थी क्युकी ओ खुद मुंबई जाना चाह रही थी.. ताकि ओ वहां थोड़ा घूम फिर पाई... और बाहर कि दुनिया एन्जॉय कर पाए... उसके बात पर मोहिनी बोली मे थोड़ी ना उसे बोल रही हूं मुंबई जाने के लिए.. ये तो मानवी ने कहा है इसलिए.. तुलसी का मुँह बन जाता है मोहिनी के बात पर....

आसीमा आपनें कमरे मे चली आयी...

तभी असीमा की एक दोस्त... ओ आसीमा की कमरे को साफ कर रही थी ओ जिया थी...जो उन्ही के ड्राइवर कि बेटी थी.. उसका नाम जिया था...जो बचपन से ही आसीमा के साथ बड़ी हुई थी.. उस घर मे एक जिया ही थी जिसके साथ आसीमा खुल कर रहती थी...जिया वही एक सर्वेंट क्वाटर मे आपनें पापा के साथ रहती थी... जिया अभी कॉलेज मे पढ़ती थी... दिखने खूबसूरत थी... ओर ओ नव्या कि बहत अच्छी दोस्तों थी...

जिया को पता था आसीमा को बचपन से ही ऐसी कोई काम करने नहीं दिया गया था.. जिस काम को करने से आसीमा खुद को कभी भी इंडिपेंडें कर पाती.. इसलिए कभी भी आसीमा को पढ़ाई वगेरा कर ने को नहीं दिया गया... इसलिए बचपन से ही जिया ओर आसीमा साथ मे रात को उसके कमरे मे चुप चुप कर पढ़ाई किया करते थे... जिया स्कूल मे जो पढ़ती आसीमा को आके घर मे रात को पढ़ाया करती थी... आसीमा भी बहत जल्द सब सीख जाती थी...

आसीमा अन्दर अति हुए बोली.. अरे बंदरिया ये कया कर रही है... जिया बेडशीट को फोल्ड कर रही थी... लग भाग जिया ने पुरे कमरे को साफ कर लिया था... ओ हमेसा ऐसा करती थी क्यूँ कि एक तो ओ बहत वक़्त आसीमा के कमरे मे ही रहती थी.. दूसरी आसीमा घरका लग भाग 90%  काम किया करती थी.. इसलिए जिया नव्या का थोड़ा मदद कर देती थी...

आसीमा कि जिया को बंदरिया बुलाने पर जिया गुसा होकर बेडशीट को फेक देती है.. ओर कहती है.. देख आसी मुझे हमेसा बंदरिया मत बुला वरना मे भी तुझे दीपू केह कर चिढ़ाऊंगी.... दीपू नाम सुनते ही नव्या बेचैन हो गयी...

जिया को भी पता था ये नाम सुनते ही आसीमा बहत बेचैन हो जाएगी... आसीमा को इतना बेचैन देखते हुए जिया खुद बोली नव्या i am sorry.... मुझे ये नाम नहीं लेना था...

आसीमा जिया को देखती है जिया सच मे बहत सॉरी फील कर रही थी... तो आसीमा आपनें बेचैनी को छुपा ते हुए बोली.. अरे बंदरिया तो सीरियस हो गयी... आसीमा को नार्मल होते हुए देख कर जिया उसे मार ते हुए बोली... तुम बन्दर... रुक अभी तुझे बताती हूं.. आसीमा जिया से भाग ने लगी..दोनों इसी तरह मज़ाक मस्ती करने लगी...

फिर दोनों ऐसी तरह बेड पर गिर गये... दोनों हस रहे थे...फिर आसीमा कि हसीं बान्द हो गयी... असीमा को चुप देख के जिया पूछी.. आसी कया हुआ तुझे... आसीमा जिया कि तरफ देखते हुए बोली.. जिया माँ ने मुझे बुलाया था... ओ बोल रही है मुझे मुंबई जाने के लिए आहना दी के पास...

जिया गुसे से बेड से उठ गयी.. फिर उसने कहा.. कया.. ओ बड़ी सैतान तुझे उस महा सैतान के पास भेज रही थी..आसी तु एक काम कर यहाँ से भाग जा कहीं... तेरी जिंदगी को ये माँ बेटी दोनों मिल कर बर्बाद कर देंगे... तुझे पाता है ना ओ आहना केसी है...

जिया ऐसा इसलिए बोल रही थी.. क्यूँ कि उसे पता था आहना बचपन से ही आसीमा के साथ बहत बुरा बुरा करती थी.. क्युकी अहाना हमेसा से आसीमा के खूबसूरती से जलती आ रही थी.. उसकी जलन इतना ज्यादा था के एक दिन तो ओ आसीमा को जलाने जा रही था... रामलाल के वजह से उस दिन आसीमा बच गयी थी...

आहना कि जलन इतना था... के आसीमा से खूबसूरत दिखने के लिए उसने प्लास्टिक सर्जरी भी कर लिया... ओर आपनें पापा के पैसो के दम पर आज बॉलीवुड मे एक A- ग्रेड एक्ट्रेस बन चुकी थी... ओर ओ मुंबई मे रहती थी...

जिया कि बात सुनके आसीमा बोली.. जिया... मुझे ये फ़िक्र नहीं है... कि ओ मुझे कितना परेशान करेंगी.. मुझे ये फ़िक्र है कि पापा को पता नहीं है... माँ मुझे मुंबई भेज रही है.. क्युकी पापा ने मुझे अछेसे कहा था कभी भी बाहर ना निकलने के लिए... आसीमा के बातो पर जिया आपनें कमर पर हात रख कर बोली...

आसी तुम कया पागल है.. या तुम कोई महान देबी है.. जो इन लोगों को इतने अच्छे से जान ने के बाद भी... उनके लिए सोच रही है... यार ओ तेरे पापा भी तुम्हसे प्यार नहीं करते ओ सिर्फ आपनें बारे मे ही सोच ते है... तुझे दिखाई क्यूँ नहीं देता...

आसीमा जिया के हात पकड़ कर आपनें बगल मे बिठाया ओर उसके कंधो पर आपनें सर को रख कर बोली... सिर्फ इतना ही नहीं.. मे तुमसे दूर जाने पर भी दुखी हूं... आखिर आपनें best फ्रेंड से दूर जाने पर किसको दुख नहीं होगा...आसीमा के इतने प्यार भरे लफ्ज सुनके जिया थोड़ा मुस्कुरा दिया.. ओर बोली... ठीक है ठीक है इतना भी मस्का लगाने कि जरुरत नहीं है... ठीक है.. मे भी तुझे बहत miss करुँगी.. लेकिन उससे भी बड़ी बात मे तुझे हमेसा ख़ुश देखना चाहती हूं...

आसीमा जिया को हग करते हुए बोली हा मे भी... बहत सारा... दोनों दोस्त इसी तरह एक दूसरे से बात करने लगे ओर... ओ दिन बीत गया...

 

 

आखिर मानवी क्यूँ बुला रही है नव्या को मुंबई???? और ये दीपू कौन है... जिसका नाम सुनते ही नव्या परेशान हो गयी??? ये सब जानेगे हाम आने वाले एपिसोड मे.. तब तक आप मेरे नॉवेल को पढ़ते रहिये.... By by