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अभिनाश का सपना

अधविका आपनें सक्तियों से किसी को बुलाने लगी.. तभी एक आदमी उसके सामने खडा हो गया.. ये आदमी अधविका का सबसे वफादार आदमी था... इसका नाम अलेक्स था.. अधविका अलेक्स को हुकुम देते हुए कहती है अलेक्स तुम्हे पृथ्वी लोक जाना है ओर वहां छोटी राजकुमारी को ढूंढ के ख़तम करनाहै...

अलेक्स ने कहा जी राजकुमारी आप बेफिक्र रहो आपका काम सरआँखों पर फिर ओ वहां से गायब हो गया

दूसरी तरफ अभिनाश लंदन पहँच कर आपने काम मे लग गया... अभिनाश का बिज़नेस पुरे दुनिया मे था...तभी Aman आके बोला सर् एक आदमी है जो कुछ ज्यादा ही उछाल राहा है.. ओर कंपनी के एम्प्लोयी को मेरे खिलाफ कर राहा है... इसलिए आधे एम्प्लोयी खुलके केह रहे है कि वो सब आप से मिलना चाहते है...

अभिनाश ने कहा ठीक है उस आदमी को वेयर हाउस ले आओ... बाद मे एम्प्लोयी कि बारे मे सोचते है... Aman ने ok सर् बोलके वहां से चला गया...

रात के 12 बज रहे थे...

लंदन के एक सुनसान इलाके मे शहर के सोर सराबे से दूर एक वेयर हाउस मे एक आदमी कि चीख सुनाई दे रही थी...उस आदमी के हाथ ओर पैर के सारे नाख़ून बहत ही बे दर्दी से उखाड़ दिए गये थे.... उसके शरीर मे जगह जगह से खून निकल राहा था..

तभी उस वेयर हाउस मे एक आदमी आया जिसने ग्रे कलर के सूट के साथ वाइट कलर का शर्ट पेहेन रखा था... उसकी पर्सनालिटी ग्रीक गड के तरह दिख राहा था... उसकी प्रेजेंस बहत स्ट्रांग था... उसके साथ उसका अस्सिस्टेंट भी था...

चेयर पर बंधे हुए आदमी के सामने ओ सूट पहना आदमी आके खडा हुआ... ओर आपनें रावबदार आवाज मे कहा... तुम अभिनाश राठौर से मिलना चाहते थे ना. लो मे आगया.. ओ आदमी आपनें अध खुले आँखों से अपने आगे खड़े हुए आदमी को देखने लगा

उसे देखते ही उस का मुँह खुला रेह गया उसे बिस्वास नहीं हो राहा था के अभिनाश राठौर इतना हैंडसम ओर इतना यंग आदमी होगा.. उसे तो लगा था ओ कोई आर्डिनरी आदमी होगा जो Aman के पीछे छुपा हुआ है...

उस आदमी ने कहा तुम अभिनाश राठौर हो.... अभिनाश बहत सांत था... फिर उस आदमी को देख कर एक तेढ़ी स्माइल करते हुए कहा... हा मे ही अभिनाश राठौर हूं...ओर हा मे तुम्हे कुछ बताना चाहता हूँ आखिर बार..उस आदमी ने कहा आखिर बार...

अभिनाश ने कहा.. हा... क्युकी दूसरी बार तुम मुझे नहीं देखोगे...मे किसीके बुला ने से नहीं आता.. अगर आता हूं तोह ओ उसका.. इतने मे एक धार दार तलवार चली ओर उस आदमी का सर नीचे गिरा था... फिर अभिनाश ने अपनी बात पूरी करते हुए कहा.. तो ओ उसका आखिरी वक़्त होता है... ओर ओ दुबारा अभिनाश राठौर के आगे जबान खोलने के लिए जिन्दा नहीं रहते...

अभिनाश के हात मे धार दार तलवार चमक राहा था...अभिनाश के ग्रे कोट पर खून के छींटे पड़ गये थे...वहां पर जितने भी बॉडीगार्ड थे... ओ सब यहाँ तक कि Aman भी शॉक मे था... के कब अभिनाश ने तलवार लिया ओर कब उस आदमी का गर्दन कटा... पालक झापक ते ही ये सब होगया था...अभिन तलवार को Aman कि तरफ बढ़ा देता है... ओर आपनें कोट को निकाल कर वहीँ सोफे पर रख दिया... ओर अपने भारी आवाज मे कहा ये सब क्लियर करो. बोलके ओ छत पर चला जाता है...

अभिनास छत के बीचो बिच खडा हो कर आसमान मे चाँद के पास वाली तारे को देख राहा था... उसका चेहरा बहत सांत था.. लेकिन उसके नीली आंखे बहत कुछ बोल रही थी... उस तारे से.... फिर ओ छत पर ही एक चेयर पर लेट गया.... ओर उस तारे को देखने लागा.. जैसे ये उसका रोज का काम हो...

तारे को देखते हुए कब उसकी आंख लग गयी ओर ओ नींद मे वही सो गया....कुछी देर हुई थी के... अभिनाश आपनें सपने मे एक बूढा आदमी को देखता है... जो उसी छत पर खडा था जहाँ Daksh अभी सो राहा था... सपने मे अभिनाश उस बूढ़े आदमी के सामने खडा था...

उस आदमी के चेहरे मे नरमी के भाब दिख रहे थे उस आदमी ने अभिनाश को कहा "मे यहाँ आपको आगाह करने आया हूं... आपको सतर्क रहना होगा... ओर आपनें आपको मेहफूज़ रखना होगा... ओ फिर से आ रहे है.... अगर आपको कुछ हुआ तो उसका असर राजकुमारी पर भी होगा... आपकी ओर उनकी जान आपस मे जुडी है... इसलिए दुश्मनो से बच के रहिये "...

राजकुमारी का नाम सुनते ही अभिनाश जल्दी से पूछने लगा... कया राजकुमारी लौट आयी है..... लेकिन तब तक ओ आदमी गायब हो गया था ओर अभिनाश कि आँख खुल गयी...अभिनाश उठ कर यहाँ वहां चारो तरफ ढूंढ ने लगा...पर उसे कुछ नहीं मिला...

अभिनाश लाचार हो कर उस सितारे को देखने लगा... उसे आज ओ सितारा कुछ अलग लग राहा था... उसने जब गौर किया तो उसे पता चला कि 1000 सालो से जो चमक खो गयी थी उस सितारे कि... अब ओ चमक लौट आयी है...

ये बिलकुल उसी तरह चमक राहा है जैसे पहले मे ओर राजकुमारी एक साथ देखा करते थे...ये सोच ते ही अभिनाश कि धड़कन तेज हो गयी उसके चेहरे पर आज 1000 साल बाद इतनी प्यारी स्माइल आयी थी.. उसका दिल खुशी से नाच ने लगा..

अभिनाश के आगे...1000 साल पहेली ओ खुनी रात याद आजाता है... जिस से उसके चहरे कि खुशी गायब हो जाती है... ओर उसका चेहरा कठोर हो जाता है.... उसके मुठिया कस जाती है.. जिससे उसके हरी नशे हाथो से लेके गर्दन तक उभर जाते है...

अभिनाश आपनें आपसे वादा करते हुए केहता है... जिसने भी हमें अलग किया था मे उस को कभी नहीं छोडूंगा.. उससे तुम्हारा बदला जरूर लूंगा... मे हर एक को उनके कर्मो कि सजा जरुर दूंगा..