सोहन और जीतू गुफा की ओर जा रहे थे , अचानक उन्हें कीचड़ दिखता है उन्हे लगता है कि ये बारिश की वजह से लेकिन वह दलदल था जिसमे जीतू फस जाता है बहुत प्रयत्न करने के बाद भी जीतू बाहर नही निकल पता है फिर जीतू आवाज लगाता है कि भैया उस पेड़ पर बेल लगी हुई है तोड़ के मुझे दे दो और दूसरी ओर से आप खींचो ।
सोहन बेल तोड़कर जीतू की जान बचाता है और गुफा की ओर जाता है सोहन जब गुफा को देखता है तो वह अचंभित रह जाता है क्योंकि वह गुफा बहुत विशाल थी ।
दोनो गुफा के अंदर जाते है उनके सामने एक चमकता हुआ चांदी का दरवाजा आता है और उस दरवाजे की अनलॉक के ऊपर एक बिल के आकार का बना था जिसमे सांप और उसके बच्चे बैठे थे । जीतू जल्दी – जल्दी में दरवाजा अनलॉक करने जाता है तभी सांप समझता है कि जीतू उनके बच्चो को नुकसान पहुंचाने आ रहा है सांप ने उसे काट लिया । और वहा पर एक पहेली लिख जाती है जिससे वह सांप भी चला जायेगा और जीतू की मौत भी नही होगी और उसमे रेत घड़ी चल रही होती है ।
अब सोहन के पास केवल 15 मिनट का समय था ।
पहेली कुछ इस प्रकार थी — सर्पगंधा है मेरा नाम , बचाना चाहते हो अगर जीतू की जान । तो लाना होगा ये औषधि , नाम है जिसका कंटोला की सब्जी । मिलेगी तुमको गुफा के पहले , जो थकते नहीं रुके या चलते ।
सोहन को समझ आ रहा था , वो थोड़ी देर सोचता है और गुफा के बाहर जाता है इसको इतना समझ आ चुका था सर्पगंधा और कटोला की सब्जी लाना है , लेकिन उसे अभी ये समझ नही आया था कि चल भी रही है या रुकी ही रहे लेकिन थकती नही । कुछ देर सोचता है तब उसे समझ आ जाता है कि चले और रुके कौन नही थकता है
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