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"Holoom Almahdi".. (Jinno Ka ek Shahzada)

"weh janna chahti thi is kahani ko..jo usne jee nahi thi..mahar phir bhi uska koi na koi kirdar usme raha tha.!log uske naam ko nahi magar uske chehre ko jante the!or weh bhi weh log jo insan hi nahi the..!naa jane kya tha un pardo key pichhe...jinme yeh kahani chhupi hui thi...use shayad in par se parde uthane padenge"!!

FARHA_KHAN · Horror
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"Tasveere"

वह उछल कर पीछे हुई!सब लड़कियां उसके यूँ उछलने पर खुद भी डर गई थीं!अमल तेज़ी से उस बिल्ली के पीछे भागी थी!उसे यूँ बिल्ली के पीछे भागते देखकर सारे दोस्त हंसने लगे थे!"इसने मेराथन दौड़ में बिल्लियों के साथ भागने में हिस्सा लिया है शायद?"उमर खिल्ली उड़ा रहा था!बिल्ली नाजाने कहाँ कहाँ जुड़ती नज़रों से ग़ायब हो गई थी!अमल कुछ देर उसकी तलाश में वहीँ टहलती रही फिर गहरे गहरे साँस लेती अपने कमरे में चली गई!वह जहाँ गई थी वह एक अंजान बस्ती थी!मगर कुछ अनसुलझे सवालों ने उसे बहुत बुरी तरह घेर लिया था?अंदलीब कौन थी जो अमल की तरह दिखाई देती थी?या वह सब महज़ मज़ाक था?होलूम अल्माहदी उसे इतनी जल्दी में महल के बाहर क्यों फ़ेंक कर गया?वह अब कभी फिर से उससे मिल पायेगी?वह इन सारे सवालों के पीछे जाना चाहती थी!वह जल्दी से उठी और होटल से बाहर निकल गई!उसका इरादा गाइड के पास जाने का था!गाइड उसे अचानक देखकर हैरान हुआ था!"मुझे उस राइटर से मिलना है जिसने साया महल पर किताब लिखी है" अमल ने फ़ौरन ही कहा था!गाइड उसवक़्त कुछ लोगों के बीच बैठा था एकदम उठकर अमल तक आया!"मतलब" जैसे उसे तो अभी समझ ही नहीं आया था या शायद अपने कानो पर यक़ीन नहीं आया था!अमल ने कुछ ठहर कर फिर कहा!"जिसने वह किताब लिखी है मुझे उससे मिलना है".."उस सिरफिरे आदमी से क्यों मिलना चाहती हैं आप?"आख़िरकार उसने कह ही दिया!"क्योंकि मेरा भी उसकी तरह सिर फिर गया है!अब ले चलोगे उसके पास?"अमल में खीज कर कहा तो वह कांधे उचका गया!"ठीक है!मगर मैं कोई काम मुफ्त में नहीं करता और यह तो एक बड़े राइटर से मुलाक़ात का काम है!पापड़ बेलने पड़ेंगे!"अमल उसकी बात पर ऐसे सर हिलाने लगी!जैसे कह रही हो उसे पहले से पता है!गाइड उसे अपनी बात पर राज़ी देखकर खुश हो गया! "कल शाम तक आपकी मीटिंग अरसलान अब्दुल के साथ फिक्स है समझो"उसके हाथ से नोट थामते हुए उसने लहक कर कहा!अमल ने नोट वापस खींचा!"और हाँ एक बात और..मेरे ग्रुप में ये बात किसी को न पता चले".."जैसा आप कहे"वह सर झुका कर बोला!अमल कहीं ना कहीं मुतमईन होकर लौट आई थी!वह जानना चाहती थी!इस कहानी को!जो उसने जी नहीं थी मगर वह उसमे मौजूद थी!लोग उसके नाम और किरदार को नहीं मगर चेहरे के जानते थे!और वह भी ऐसे लोग जो इंसान नहीं थे!और जैसा गाइड ने कहा था अगली शाम उसने बताया!"वह नेशनल लाइब्रेरी मे रोज़ आते हैं!बाब अल ख़ल्क़ जगह का नाम है आप आराम से पहुंच जाएँगी!यह रहा एड्रेस और यह रही स्लिप!यह उनको दिखा देना"गाइड ने उसे दो पर्चे देते हुए कहा!अमल ने ख़ामोशी से वह पर्चे थामे और उस रास्ते निकल गई!आज उसके सभी दोस्त पिरामिडों की सेर को निकले थे मगर वह कमरे में ठहरने के बहाने बाद में बाहर निकल आई थी!उसके ज़हन की उलझन का इकलोता इलाज फिलहाल उसे अरसलान अब्दुल ही नज़र आ रहा था!लाइब्रेरी पहुँच कर उसने किसी से उसका नाम पूछा तो उसने इशारे से बताया!अमल चलती हुई उसकी टेबल तक आ गई!वह उसकी उम्मीद से बहुत अलग बहुत कम उम्र नौजवान था!उसने सोचा था वह कोई बूढ़ा या अधेड़ उम्र शख़्स होगा!मगर वह तो 30 32 के बीच का लग रहा था!अमल ने परचा स्लिप उसके पास रख दी!किसी किताब में गुम अरसलान अब्दुल तेज़ी से चौंका था!पहले उस स्लिप  को  फिर  सर उठा कर अमल का चेहरा देखा!"अंदलीब?" उसके ज़हन में एकदम गूंजा!मगर उसने होंठो को भींचे रखा "क्या है यह"?उसने अंग्रेजी में पूछा!यह तो पता नहीं!मगर मैं अमल हूँ"उसने दोस्ताना अंदाज़ में पूछा!"कौन सा अमल?"उसका अंदाज़ गंभीर था मगर बात मज़ाकिया!"जो आप समझे" उसने कांधे उचकाए!"मैं क्यों समझने लगा!फिलहाल अगर टेबल चाहिए तो यह ख़ाली नहीं है" अरसलान अब्दुल ने कहा तो वह मुस्कुरा दी!"मैं इंडिया से हूँ!और मेरे ख्याल में आप भी"अरसलान अब्दुल के चेहरे पर कोई भाव नहीं आया!उसने लम्बी साँस भरी और ठन्डे लहजे में कहा!"मैं क्या मदद कर सकता हूँ?".."मुझे आपकी स्टोरी होलूम अल्माहदी के बारे में बात करनी थी"..उसके रवय्यों से वह थोड़ी खीज तो रही थी मगर उसने अपने भावों को खुद ओर हावी नहीं होने दिया!"क्या जानना चाहती हो?" अरसलान अब्दुल ने कहा!अब तक वह खड़ी थी और उनके बीच यूँ सवाल जवाब हो रहे थे जैसे वह आपस में स्टूडेंट और टीचर हैं!लेकिन अब वह बैठ गई थी!जैसे अब ज़बरदस्ती ही सही सब जान कर ही जाएगी!"यह एक मनघड़ंत कहानी है!जिसमे एक मनघड़ंत कैरेक्टर होलूम अल्माहदी है!वह मेल लीड है!उसके साथ ही एक लकड़हारे की कहानी है जिसे बादशाह लोगमार देते हैं!और एक लड़की जो उसके लिये रो रो कर अपनी जान दे देती है"उसने बड़ी जल्दी जल्दी में पूरी कहानी बता दी थी और एक बुक उसके सामने रख दी!"बाक़ी तुम इसमें पढ़ सकती हो"उसने कहा और किताब उसके सामने छोड़ कर आगे बढ़ गया!"मुझे जिन्नो का शहज़ादा होलूम अल्माहदी के बारे में जानना है!जो साया महक की दीवारों के पार रहता है"!अरसलान अब्दुल के क़दम जैसे ज़मीन पर जकड़ लिये गए!उसने मुड़ कर उस लड़की की तरफ देखा!"अंदलीब यह पूछ रही है?कि होलूम अल्माहदी कौन है?"उसका लहजा बहुत ठहरा हुआ था!अमल सर से पैरों तक काँप गई!वह झटके से उठकर उसके पास गई थी!"मैं अंदलीब नहीं हूँ!मेरा नाम अमल है".."मुझे नहीं पता!लेकिन तस्वीरें तो यही बयां करती हैं कि यह चेहरा अंदलीब का है"वह गौर से उसके देखते हुए कह रहा था!"कौन सी तस्वीरें?"